वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व सफारी के नाम पर ठंडे बस्ते में , सैलानी नहीं दिखाई दिलचस्पी
Rnews24 सागर - सितंबर 2023 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के चलते तत्कालीन सरकार ने एक अहम फैसला दिया जिसमें मध्य प्रदेश के सबसे बड़े अभ्यारण नौरादेही अभ्यारण को बिरांगना रानी दुर्गावती बाघ अभ्यारण के रूप में परिवर्तित कर दिया गया मध्य प्रदेश के राजपत्र में इसे प्रदेश के सातवें टाइगर रिजर्व के रूप में दर्जा हासिल हो गया है।
इन सब बातों के इतर लगभग एक साल होने को है इसके बाद भी वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने अब तक इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया है। सागर दमोह नरसिंहपुर जिले में फैले इस अभ्यारण का जगह-जगह लगे बोर्ड होल्डिंग और शासकीय दफ्तरों में अब तक नाम भी परिवर्तित नहीं किया गया है। अभ्यारण में सफारी करने के लिए लोगों को रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की वेबसाईट पर अब तक कोई विशेष सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। आवासीय क्षेत्र और मुख्य मार्गों पर आज भी नौरादेही अभ्यारण के नाम से साइन बोर्ड और बैनर लगे हुए हैं। अधिकारियों की यह उदासीनता निश्चित ही सरकार के इस गर्व करने वाले फैसले पर एक काला धब्बा है।
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में लगभग 15 से अधिक बाघ हैं लेकिन अवस्थाएं होने के कारण लोग अब तक यहां सफारी करने के लिए आने में दिलचस्पी नहीं दिखाते।इसके पीछे कई सारे कारण है जिनमें प्रचार प्रसार की कमी, लोगों के लिए आवागमन के साधन एवं विश्राम स्थल की कमी इन सब बातों से प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व सरकार को राजस्व मुहैया कराने में असमर्थ दिखाई पड़ रहा है।
इसके अलावा रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में अधिकारी इस मनमानी पर भी उतारू है की ना तो बाघों की तरीके से मॉनिटरिंग की जाती है ना ही मौसम के अनुरूप सैलानियों के लिए सफारी की व्यवस्था की जाती है टाइगर रिजर्व में सफारी वहां की भी कमी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अभ्यारण में टूरिस्ट रोड को अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बंद करने का प्रयास भी करते हैं जब इस विषय पर हमने वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट से बात की तो उन्होंने ऐसा करने वाले अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की बात कही।
टाइगर रिजर्व की वेबसाइट पर समस्त प्रकार की शुल्क की प्रॉपर जानकारी न होने से भी सैलानी यहां आने से कतराते हैं जब तक जिम्मेदार अधिकारी इन सब कर्मियों और खामियों पर तत्परता से कार्यवाही नहीं करते तो निश्चित ही आने वाले समय में रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व महाज कागजों में ही सिमट कर ही रह जाएगा।