🧬 कोविड वैक्सीन और कैंसर का दावा: क्या सच में बढ़ रहा है खतरा या यह गलतफहमी है?
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर 2025 |
हाल ही में दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों की एक रिसर्च को लेकर सोशल मीडिया और कुछ विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स में सनसनी फैल गई है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कोविड-19 वैक्सीन लेने वाले लोगों में छह तरह के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
लेकिन क्या यह सच है? विशेषज्ञों के अनुसार, इस दावे के पीछे जो अध्ययन है, वह “संबंध” तो दिखाता है, पर “कारण” नहीं साबित करता।
📊 क्या कहती है कोरिया की स्टडी?
कोरिया की एक टीम ने 2021 से 2023 तक करीब 84 लाख वयस्कों के हेल्थ रिकॉर्ड का विश्लेषण किया। इसमें वैक्सीनेटेड और नॉन-वैक्सीनेटेड लोगों के बीच एक साल के भीतर कैंसर डायग्नोसिस की दर की तुलना की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक,
थायरॉइड कैंसर का खतरा 35% बढ़ा,
पेट का कैंसर 34%,
प्रोस्टेट कैंसर 68%,
फेफड़ों का कैंसर 53%,
ब्रेस्ट कैंसर 20% और
कोलोरेक्टल कैंसर 28% ज्यादा पाया गया।
इन आंकड़ों ने लोगों के मन में चिंता जरूर बढ़ाई है — लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
🧠 विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डॉ. बेंजामिन मेजर के अनुसार,
“कैंसर अचानक नहीं होता। इसे विकसित होने में सालों लगते हैं। सिर्फ एक साल के डेटा से किसी वैक्सीन को कैंसरजनक कहना वैज्ञानिक रूप से गलत होगा।”
उन्होंने बताया कि यह अध्ययन केवल “कैंसर डायग्नोसिस” पर आधारित था, न कि बीमारी की वास्तविक उत्पत्ति पर।
इसके अलावा, कोरियन कैंसर एसोसिएशन के आंकड़ों में वैक्सीनेशन के बाद कैंसर के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं पाई गई।
⚖️ शोध में क्या सीमाएँ हैं?
1. Association ≠ Causation: यह केवल सांख्यिकीय संबंध दिखाता है, कारण नहीं।
2. कम अवधि का अध्ययन: कैंसर बनने में सालों लगते हैं, जबकि यह रिसर्च सिर्फ एक साल की है।
3. हेल्थ सर्विलांस बायस: वैक्सीनेटेड लोग डॉक्टरों से ज़्यादा मिलते हैं, जिससे कैंसर जल्दी पकड़ा जा सकता है।
4. कुल कैंसर दर में कोई बड़ा उछाल नहीं: अध्ययन के मुताबिक “ओवरऑल” कैंसर जोखिम में कोई महत्त्वपूर्ण अंतर नहीं पाया गया।
📢 मीडिया रिपोर्टिंग पर विवाद
ब्रिटेन के Daily Mail ने इस अध्ययन पर रिपोर्ट छापी थी, जिसमें कहा गया कि “कोविड वैक्सीन कैंसर का कारण बन सकती है।”
बाद में कई फैक्ट-चेक संगठनों — जिनमें FullFact भी शामिल है — ने इसे भ्रामक बताया, और कहा कि स्टडी को गलत तरीके से पेश किया गया था।
दरअसल, अध्ययन के लेखक स्वयं भी “कैंसर का कारण वैक्सीन है” ऐसा नहीं कह रहे।
💉 वैक्सीन अभी भी सुरक्षित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अमेरिकी CDC और भारतीय स्वास्थ्य प्राधिकरणों के अनुसार,
कोविड वैक्सीन गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती और मौत के जोखिम को कम करने में प्रभावी साबित हुई है।
अब तक लाखों शोध-पत्रों में किसी भी वैक्सीन को “कैंसरजनक” नहीं पाया गया है।
🔍 निष्कर्ष
दक्षिण कोरिया की यह स्टडी एक डेटा-सिग्नल जरूर देती है, लेकिन वैक्सीन से कैंसर का सबूत नहीं है।
वैज्ञानिक समुदाय इसे लंबी अवधि के अध्ययन से और परखेगा, तभी किसी निष्कर्ष पर पहुँचना सही होगा।
🩺 क्या करें?
वैक्सीन को लेकर डर या अफवाह पर भरोसा न करें।
किसी भी लक्षण या पारिवारिक कैंसर इतिहास को लेकर अपने डॉक्टर से सलाह लें।
केवल प्रमाणिक और मेडिकल-जर्नल आधारित जानकारी पर भरोसा करें।
“कोविड वैक्सीन से कैंसर का खतरा बढ़ता है” — इस दावे को वैज्ञानिक आधार नहीं मिला है।
फिलहाल वैक्सीन सुरक्षित मानी जाती है और करोड़ों लोगों की जान बचा चुकी है।
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